स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उज्जैन के मंगलनाथ मार्ग स्थित ऐतिहासिक सांदीपनि आश्रम में भक्ति और देशभक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला। यहां विराजमान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा की प्रतिमाओं को विशेष रूप से तिरंगे रंग के वस्त्र पहनाए गए और तिरंगे से बने मुकुट भी धारण करवाए गए। पूरा मंदिर परिसर राष्ट्रीय गौरव और आध्यात्मिक आस्था के रंग में रंगा नजर आया।
सुबह के समय मुख्य पूजन और अभिषेक विधि-विधान से संपन्न हुई। इसके बाद प्रतिमाओं का श्रृंगार तिरंगे रंग के परिधान और मुकुट से किया गया। आश्रम परिसर को सैकड़ों तिरंगे झंडों और फूलों से सजाया गया, जिससे वातावरण और भी पावन और उत्सवमय हो गया। आश्रम के कीर्ति व्यास ने बताया कि जैसे देशभर में विद्यालयों में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, वैसे ही भगवान की इस ‘पाठशाला’ में भी आजादी का उत्सव पूरे उल्लास के साथ मनाया गया।
सांदीपनि आश्रम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह श्रीकृष्ण के जीवन का एक अहम अध्याय भी समेटे हुए है। मान्यता है कि यहीं पर श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम के साथ 64 दिनों तक शिक्षा प्राप्त की थी। इस अवधि में उन्होंने 14 विद्याएं और 64 कलाओं में निपुणता हासिल की। यही वह ज्ञान था, जो आगे चलकर कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में प्रकट हुआ। इसी कारण श्रीकृष्ण को ‘योगेश्वर’ और ‘जगद्गुरू’ की उपाधि मिली।
आज भी सांदीपनि आश्रम में यह शिक्षा परंपरा जीवित है। यहां अध्यात्म, वेद, पुराण, संस्कृत और विभिन्न कलाओं का अध्ययन कराया जाता है। स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित यह विशेष श्रृंगार और पूजन न केवल हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि देशप्रेम और धर्म, दोनों का आधार एक ही है — सत्य, कर्तव्य और समर्पण।